टीडीपी सरकार मंदिर की ज़मीन निजी हाथों में सौंप रही है? जो 400 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है

TDP government is handing over temple land to private hands
( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )
अमरावती : : (आंध्र प्रदेश) TDP government is handing over temple land to private hands: आंध्र प्रदेश की गठबंधन की सरकारइधर तेलुगू देशम जनसेना बीजेपी संयुक्त रूप से मंदिरों में दान की गई भूमि कोकौड़ियों के भाव में हड़पने का योजना चालू कर दिया है जिसका उदाहरण आंध्र प्रदेश हर दिन देखने और सुनने आ रहा है कोई पूर्वज अपनी जमीन कोमंदिर की नित्य पूजा अर्चना और पंडितों के खर्च के लिए दान दिया है उसे जमीन को अब ठेकेदार बार चलने दारू दुकान चलाने होटल चलाने होटल बनाने के लिए सरकार देने की पात्रता नहीं होने के बाद भी ऐसा आदेश करके देने का एक नयाअध्याय चालू जिसकी विरोध में हजारों लोग अब सड़क में आने की तैयारी कर रहे हैं
अभी आज की घटना टीडीपी सरकार पर गोलापुडी में लगभग 40 एकड़ मंदिर की ज़मीन, जिसकी कीमत 400 करोड़ रुपये है, निजी हाथों में सौंपने का आरोप है। इस हिस्से में एक एकड़ ज़मीन की कीमत कथित तौर पर 10 करोड़ रुपये से ज़्यादा है।
यह आरोप तब सामने आए जब एनटीआर ज़िला प्रशासन ने बंदोबस्ती विभाग को पत्र लिखकर विजयवाड़ा के पास गोलापुडी में सर्वे संख्या 454/2बी, 454/3बी में 39.99 एकड़ ज़मीन का उपयोग पाँच एकड़ ज़मीन पर "विश्व स्तरीय गोल्फ़ प्रैक्टिस रेंज और उत्कृष्टता केंद्र" और 34.99 एकड़ ज़मीन पर 'विजयवाड़ा उत्सव' नामक वार्षिक प्रदर्शनियों के लिए एक स्थायी स्थल विकसित करने की माँग की।
बाद में पता चला कि यह ज़मीन कृष्णा ज़िले के मछलीपट्टनम स्थित गोदुगुपेटा श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की है। यह ज़मीन कथित तौर पर भक्तों द्वारा धूप, दीप, नैवेद्यम और वार्षिक उत्सवों के लिए दान की गई थी। सार्वजनिक नीलामी के ज़रिए इन ज़मीनों को पट्टे पर देने से होने वाली आय का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से मंदिर के अनुष्ठानों के लिए किया जाता रहा है।
अब, टीडीपी गठबंधन पर ज़मीन को निजी संस्थाओं को हस्तांतरित करने का आरोप है, और वह इसे 99 साल के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की मामूली वार्षिक दर पर पट्टे पर देने की योजना बना रहा है। दरअसल, बंदोबस्ती विभाग ने 15 मई को काश्तकारों को ज़मीन पट्टे पर दे दी थी। बोर्रा रवि ने 95,500 रुपये में सात एकड़ ज़मीन, अब्बूरी श्रीनिवास राव ने 1,00,500 रुपये में 6.50 एकड़ ज़मीन, नुम्मोलु रामाराव ने 66,700 रुपये में 4.5 एकड़ ज़मीन, ईपुरी नागमल्लेश्वर राव ने 97,000 रुपये में 4.50 एकड़ ज़मीन और के. धर्माराव ने 52,500 रुपये में पाँच एकड़ ज़मीन पट्टे पर ली, जो 2023-24 से 2025-26 तक वैध है।
वाईएसआरसीपी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीडीपी पर मंदिर की ज़मीन निजी हाथों में सौंपने का आरोप लगाया। पार्टी ने आरोप लगाया कि वैध पट्टे के अधिकार वाले किसानों को बाहर निकाला जा रहा है और खेती बाधित की जा रही है।
ज़मीन के हस्तांतरण के लिए नियमों में नीलामी अनिवार्य है, लेकिन कथित तौर पर इसे दरकिनार कर दिया गया।
बंदोबस्ती विभाग तक आधिकारिक पत्र पहुँचने से पहले ही, एक टीडीपी नेता पर ज़मीन हड़पने की साज़िश रचने का आरोप है। विजयवाड़ा उत्सव की तैयारियाँ बिना किसी मंज़ूरी के शुरू हो चुकी हैं। नौकरशाही हलकों में अफ़वाहें हैं कि फ़ाइलों को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है। रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि टीडीपी ने 2017 में ही अधिग्रहण की योजना बना ली थी।
वाईएसआरसीपी ने यह भी सवाल उठाया कि जब अमरावती में हज़ारों एकड़ ज़मीन खाली पड़ी है, तो मंदिर की ज़मीन को क्यों निशाना बनाया जा रहा है। वाईएसआरसीपी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, "यह भगवान की संपत्ति की लूट और भक्तों की आस्था को ठेस पहुँचाने के अलावा और कुछ नहीं है। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो भक्त मंदिर की ज़मीन की रक्षा के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।"